KRISHNA-4_Hindi

Main Krishna Hoon – Vol 4 – Mere Rajnitik Utthan Ki Daastaan

349.00

Publisher: Aatman Innovations Pvt Ltd

Language:  English

Binding Type: Paperback

Total Pages:  268 pages

ISBN 10: ‎ 9384850470

ISBN 13: 978-9384850470

Reading Age: 14 years and above

Item Weight: 320 g

Dimensions:  20.3 x 25.4 x 4.7 cm

Country of Origin: India

412 in stock

SKU: Krishna_Hindi Vol 4 Category:

Product Description

मैं कृष्ण हूँ

मेरे राजनीतिक उत्थान की दास्तां

‘मैं कृष्ण हूँ – मेरे राजनीतिक उत्थान की दास्तां’ बेस्टसेलिंग ‘मैं मन हूँ’ के लेखक दीप त्रिवेदी द्वारा लिखित ‘मैं कृष्ण हूँ’ शृंखला की चौथी किताब है। इस किताब में कृष्ण के जीवन से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब एवं घटनाओं का विस्तृत वर्णन हैं जैसे : द्रौपदी का स्वयंवर रचाने में कृष्ण को किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा था? कृष्ण को हस्तिनापुर की राजनीति में क्यों दखल देना पड़ा था? पांडवों के लिए नये राज्य इंद्रप्रस्थ की स्थापना क्यों, कैसे और किन परिस्थितियों में हुई?

एक शानदार प्रतिसाद के आधार पर ‘‘मैं कृष्ण हूँ’’ के पहले भाग को साल 2018 के Crossword Book Awards के ‘Best Popular Non-Fiction’ कैटेगरी में भी नामांकित किया जा चुका है।

‘‘मैं कृष्ण हूँ’’ में कृष्ण के जीवन को पंद्रह से भी अधिक पौराणिक ग्रंथों से रिसर्च करने के बाद सिलसिलेवार तरीके से लिखा गया है जिसमें कृष्ण के हर कर्म के पीछे के सायकोलॉजिकल कारणों पर भी प्रकाश डाला गया है। आत्मकथा के रूप में लिखी गई कृष्ण की इस जीवन यात्रा में पाठकों को बताया जाता है कि कैसे कृष्ण ने अपनी चेतना के सहारे जीवन के सारे युद्ध जीते और उस मुकाम पर जा बैठे जिसके लिए आज वे न सिर्फ जाने जाते हैं, बल्कि जिस वजह से आज हर कोई उनके बारे में जानने को उत्सुक भी है।

चूंकि किताब के लेखक स्पीरिच्युअल सायकोडाइनैमिक्स के पायनियर हैं, इसलिए उन्होंने सभी आवश्यक जगहों पर कृष्ण की सायकोलॉजी पर प्रकाश डाला है ताकि पाठक यह समझ सके कि कृष्ण ने जो किया वो क्यों किया। ‘‘मैं कृष्ण हूँ’’ निम्नलिखित शास्त्रों से रिसर्च करने के बाद लिखी गई है: महाभारत, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय आरण्यक, निरुक्त, अष्टाध्यायी, गर्ग संहिता, जातक कथा, अर्थशास्त्र, इंडिका, हरिवंश पुराण, विष्णु पुराण, महाभाष्य, पद्म पुराण, मार्कंडेय पुराण, कूर्म पुराण, भागवत पुराण, …आदि।

यह किताब गुजराती में भी उपलब्ध है।